किसी का भी इतिहास लिखना हो तो उसके बारे में सबसे अच्छी जानकारी वही के लोगो से ही मिल सकती है और व्ही के ही लोग वहा का इतिहास अच्छे से लिख सकते है और सदा से ऐसा ही होता आया है मगर दुर्भाग्यवश भारत में हिन्दुओ को ऐसा सौभाग्य प्राप्त नहीं हो पाया एक षड़यंत्र के तहत भारत के वामपंथियों ने ऐसा नहीं होने दिया और भारत में शिक्षण संस्थाओ के शीर्ष पर वामपंथीओ द्वारा कब्ज़ा जमा कर आज स्कूलों में जो पढ़ाया जा रहा है वो सच्चाई के बिलकुल विपरीत पढ़ाया जा रहा है कॉलेजों में छात्रों को मनुस्मृति के बारे में भ्रामक जानकारी दी जा रही है तसवीर का एक पहलु दिखाकर हिन्दू धरम को हिंदुस्तान में ही निचा दिखाने की कोशीश की जा रही है धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र में एक धर्म को टारगेट किया जा रहा है और जो आवाज उठाता है उसको दलित विरोधी दक्षिणपंथी और साम्रदायिक जैसे तमगे देकर चुप करा दिया जाता है तस्वीर का एक पहलु ऐसे पेश किया जाता है जैसे के दुनिया के सारे धरम परम पावन पवित्र है और दुनिया का सबसे घिनोना धर्म हिन्दू धरम है बच्चो के दिमाग को बदला जा रहा है !
सबसे पहले तो भारत के बिके हुए निति निर्माताओं ने अपनी स्वार्थ पूर्ति के लिये भारत को दुनिया का सबसे पहला धरम निरपेक्ष देश बनाया क्या जब भारत धरम निरपेक्ष नहीं था क्या तब यहां पर किसी और धरम की उपासना नहीं होती थी लेकिन हिन्दुओ के प्रति एक षड्यंत्र के तहत ऐसा किया गया !
क्या कोई धार्मिक व्यक्ति धर्म निरपेक्ष हो सकता है वो अपने धरम की बात तो करेगा ही न लेकिन आज भारत में मुस्लिम सिख इसाई धरम निरपेक्ष है मगर हिन्दू धर्म की बात करने वाला साम्प्रदायिक है ऐसा यह एक माहौल बना दिया गया है मुझे तो एक बात समझ नहीं आती जबकि हिन्दू धर्म के लोग इतने अत्याचारी है और निर्दयी है तब भी भारत दुनिया का सबसे बड़ा ऐसा राष्ट्र कैसे बन गया जहा दुनिया के सब धर्मो को पूर्ण आजादी है और पूर्ण रूप से प्रचार का अधिकार भी है और जहां तक अधिकारों की बात है तो इसका सबसे बड़ा उदहारण इस्लाम धर्म है जितने अधिकार मुस्लिमो को भारत में है इतने तो शायद किसी मुस्लिम देश में भी मुस्लिमो को नहीं होंगे पिछले ७० सालो में जितनी मुस्लिम आबादी भारत में बड़ी है इतनी तो सारे मुस्लिम देशो की मिलकर भी नहीं बड़ी होगी तब भी हिन्दू धर्म असहिष्णु है कट्टर है
भारत में हिन्दुओ के सारे बड़े मंदिर और धार्मिक स्थान सरकारी नियंत्रण में है जिनका सारा धन भी सरकार अपने तरीके से दूसरे धर्मो पर भी खर्च करती है जबकि किसी और धर्म का एक भी छोटा सा मंदिर चर्च या मस्जिद सरकार अपने नियंत्रण में नहीं ले सकती तब भी हिन्दू धरम ही असहिष्णु है कॉलेजो में हिन्दुओ के धार्मिक ग्रंथो का हवाला देकर हिन्दू धर्म की बुराई पढ़ाई जाती है क्या इस धर्मनिरपेक्ष देश में इस प्रकार का व्यवहार किसी और धरम के साथ भी सकता है बस यही बात मै इन तथाकथित सेकुलरो वामपंथी विद्वानों से पूछना चाहता हूँ !