भारत मे निजीकरण ओर धर्मनिरप्रेक्षता
ये इस देश का दुर्भाग्य ही है कि भारत को आज़ादी के बाद से सिर्फ देश माना मगर देशवासियो को नही माना किसी भी देश के प्राण वहाँ के मूल वासी होते है ! मगर इस देश के मूलवासियों को देश के नाम पर ही भेंट चढ़ाते रहे चंद सत्ता पर काबिज दुर्भावना से ग्रस्त लोग जिन्होंने यहाँ के मूल वासी आर्यो को भी षडयंत्र के …